पौड़ी डीएम की कार्रवाई से इंजीनियरों में आक्रोश, डीएम हरिद्वार को सौंपा ज्ञापन

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रुड़की

उत्तराखण्ड इंजीनियर्स फैडरेशन के प्रतिनिधि मंडल ने आज जिलाधिकारी हरिद्वार से उनके रोशनाबाद स्थित कार्यालय में मुलाकात की और सीएम के नाम एक ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन सौंपते हुए फैडरेशन के प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल द्वारा आपदा प्रबन्धन अधिनियम 2005 में प्रदत्त शक्तियों का दुरूपयोग करते हुए द्वेषभाव से कार्रवाई करते हुए अधिशासी अभियंता राष्ट्रीय राजमार्ग खण्ड लोनिवि विभाग श्रीनगर के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। जो कि पूर्णतः अनुचित, अन्यायपूर्व एवं दमनकारी है।

ज्ञापन में यह भी अवगत कराया गया कि 11 सितंबर को अत्यधिक वर्षा होने के कारण श्रीनगर से बद्रीनाथ एनआईएच मार्ग पर लगभग 40-50 मीटर वाशआउट हो गया था, जिससे यातायात बाधित होना स्वाभाविक था। उक्त मार्ग पर भूस्खलन होने के कारण अधिशासी अभियंता एनआईएच लोनिवि श्रीनगर द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए मलबे के दोनों ओर से पोकलैंड मशीन लगाकर हिल साईड में अतिरिक्त कटान कर मार्ग को न्यूनतम संभव समय से खुलवा दिया गया। उक्त विकट परिस्थिति में भी लोनिवि के अधिशासी अभियंता व उनके अधिनस्थ कर्मचारी/श्रमिक व पोकलैंड चालक भूस्खलन स्थल पर उपस्थित रहे तथा अपनी जान की बाजी लगाकर कार्य कराते रहे, जबकि हिल साईड से लगातार पत्थर गिर रहे थे। उक्त स्थल के वैली साईड पर अलकनंदा नदी पर बने बांध के कारण हुऐ कटाव से 35-40 मीटर जमीन धंस जाने के कारण बिना कोई विस्तृत व विशिष्ट तकनीकी सुधार कार्य के बिना उपचार किया जाना संभव नहीं है।

इस संबंध में जिलाधिकारी अवगत होते हुए भी लगातार अधिशासी अभियंता पर दबाव बनाती रही, जबकि उक्त प्रकार का तत्कालीन उपचार किया जाना पूर्ण रुप से शासकीय धन का अपव्यय होता तथा आनन-फानन में बिना किसी तकनीकी विशिष्ट अनुरुप कार्य कराकर यातायात चालू किये जाने पर जनहानि की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता था। उक्त कार्य को कराये जाने हेतू अधिशासी अभियंता द्वारा टीएचडीसी इण्डिया लि. के तकनीकी परामर्श से डीपीआर विरचित कर भारत सरकार को प्रेषित की जा चुकी है, जिस पर तकनीकी परीक्षण एवं धन आवंटन की कार्रवाई भारत सरकार के स्तर से होनी है। उपरोक्त परिस्थतियों में उपलब्ध वित्तीय स्वीकृति के अभाव में अधिशासी अभियंता श्रीनगर द्वारा हिल साईड में यथा आवश्यक कटान कर यातायात को किसी प्रकार से सुचारू कराया गया।

उक्त समस्त प्रकरण के संज्ञान होने पर भी जिलाधिकारी द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराई जाने की कार्रवाई न केवल जिलाधिकारी पौडी की हठधर्मिता को प्रदर्शित करता है, बल्कि अंग्रेजी शासनकाल के आईसीएस अधिकारियों की प्रवृत्ति, उनके व्यहवार में अंतरित होना प्रदर्शित करता है। जिलाधिकारी पौडी द्वारा की गई उक्त कार्रवाई न केवल लोनिवि, बल्कि उत्तराखण्ड प्रदेश के सभी तकनीकी विभागों के अभियंता आक्रोशित है। इस संबंध में उत्तराखण्ड इंजीनियर्स फैडरेशन की प्रांतीय कार्यकारिणी की आपात बैठक आॅनलाईन आहूत की गई, जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जिलाधिकारी पौडी गढ़वाल द्वारा की गई कार्रवाई पूर्णता एक तरफा, मनमानी पूर्वक एवं तानाशाही है, जिसके विरोध में प्रदेश के सभी अभियंताओं ने आज सभी जनपदों से संबंधित जिलाधिकारी के माध्यम से एवं विधायक, सांसदों के माध्यम से ज्ञापन शासन/सरकार को भेजेंगे तथा काली पट्टी बांधकर कार्य करेंगे। यदि मांगे पूर्ण नहीं हुई, तो 17 सितंबर को प्रांतीय कार्यकारिणी की बैठक में अग्रेत्तर आंदोलन का निर्णय लिया जायेगा। यदि सरकार द्वारा जल्द ही इस प्रकरण में संज्ञान नहीं लिया गया, तो प्रदेश के समस्त अभियंता कार्य बहिष्कार या हडताल पर जाने को बाध्य होंगे। जिसकी समस्त जिम्मेदारी सरकार व शासन की होगी। ज्ञापन सौंपने वालों में जितेन्द्र सिंह एसई, डीपी सिंह एसई, इंजी. आर.के. गुप्ता, इंजी सुधीर कुमार, ई.ई. विपुल कुमार सैनी, चेतन पुरोहित, दीपक पंवार, सीपीएस गंगवार, विपिन कुमार चैहान, यशवीर मल आदि मौजूद रहे।

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