रुड़की (ब्यूरो रिपोर्ट)
श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन आचार्य पंडित रमेश सेमवाल ने पुरानी तहसील स्थित ज्योतिष गुरुकुलम में कलयुग का वर्णन किया। पंडित रमेश सेमवाल ने कहा कि कलयुग के प्रभाव के कारण आज चारों ओर अशांति दिखाई दे रही है। मनुष्यों के अंदर अहंकार, छल, कपट, काम, क्रोध, लोभ का वास हो गया, जिससे समाज में विकृति उत्पन्न हो गई हैं। स्वर्ण में कलयुग का वास है, राजा परीक्षित भी कलयुग के प्रभाव के कारण घर बार छोड़कर भगवान की शरण में चले गये थे। कलयुग के प्रभाव को दूर करने के लिए निरंतर भक्ति, भगवान का नाम का कीर्तन, जप, ध्यान करना चाहिए। कहा कि श्रीकृष्ण की भक्ति से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष प्राप्त होता है तथा जीवन सफल होता है। उन्होंने कहा कि संतान को गोकर्ण की तरह ज्ञानी होनी चाहिए जो माता-पिता की सेवा करें। पितृपक्ष में भागवत सुनने से पितरों को आशीर्वाद प्राप्त होता है। राजा परीक्षित को ऋषि ने श्राप दिया था कि आज से 7 दिन में तुम्हें सर्प डसेगा और तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी। राजा परीक्षित ने 7 दिन तक भागवत कथा सुनी। सुखदेव जी महाराज के मुखारविंद से और उनको सद्गति प्राप्त हुई। हमें भी निरंतर हर घड़ी हर पल भगवान का ध्यान करना चाहिए। राजा परीक्षित कहते हैं कि सुखदेव निरंतर मुझे भागवत कथा सुनाइए, भागवत चर्चा सुनाइए। मैं सिर्फ भगवान की कथा सुनना चाहता हूं। सांसारिक लोग संसार में छल-कपट करते हैं इसलिए उन्हें भगवान की कृपा नहीं मिलती। हमें अर्जुन जैसा भगवान का भक्त और शिष्य बनना चाहिए। कथा में सुलक्षणा सेमवाल, अदिति सेमवाल, राधा भटनागर, चित्रा गोयल, संजीव शास्त्री, इंद्रमणि सेमवाल, नरेश शास्त्री, संगीता भारद्वाज, नरेंद्र भारद्वाज, प्रतीक्षा आदि मौजूद रहे।