रुड़की (ब्यूरो रिपोर्ट)
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज रुड़की संयुक्त मजिस्ट्रेट कार्यालय पर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी संघर्ष समिति के बैनर तले राज्य आंदोलनकारियों ने अपनी लम्बे समय से लम्बित मांगों को पूरा करने हेतु धरना दिया। इस अवसर पर समिति के केन्द्रीय अध्यक्ष हर्ष प्रकाश काला ने कहा कि सरकार हमारी है, मुख्यमंत्री राज्य आंदोलनकारी है एवं पूर्व सैनिक और धाकड़ धामी है, परन्तु रोना इस बात का है कि सर्वगुण संपन्न होने पर भी राज्य आंदोलनकारी त्रस्त एवं ग्रस्त हैं क्यों? श्रीमती सरोज थपलियाल, जगदीश प्रसाद जदली, राजू कण्डियाल ने संयुक्त रुप में कहा कि बहुत हो गया है अब, हम सोचते थे कि भाजपा ने राज्य बनाया, तो हमें भी सम्मान देगी और उत्तराखंड का विकास करेगी, परन्तु यह हमारा भ्रम था, न तो भाजपा ने राज्य बनाया और न उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के लिए और न ही राज्यवासियों के विकास का कोई विजन इनका है। उत्तराखण्ड को राज्य आंदोलनकारियों ने बनाया और विकास का विजन भी राज्य आंदोलनकारियों के ही पास है। इसलिए उत्तराखंड की जनता का आहवान करते हैं कि इन राष्ट्रीय दलों के बहकावे में न आकर राज्य आंदोलनकारियों को लोकसभा एवं राज्यसभा में भेजा जाये, जिनके संघर्ष के परिणाम स्वरूप राज्य बना। तभी राज्य का विकास होगा एवं राज्य आंदोलनकारियों को सम्मान मिलेगा। मनोरमा पंत, अमृता घनसाली, जसोदा बलूनी, देवेश्वरी खंडूरी, विद्या द्विवेदी एवं शकुन्तला सती ने कहा कि मुख्यमंत्री मंचों पर झूठी घोषणाएं करते हैं। उन्होंने कहा कि 2021 से अभी तक मात्र घोषणाओं से जनता को गुमराह किया गया है। अब जनता उनके बहकावे में नहीं आने वाली। अगर लोकसभा चुनाव से पहले हमारी मांगे नहीं मानी जाती, तो हम सरकार को बेदखल करना भी जानते हैं। जगदीश जदली, शशी प्रकाश शर्मा, विवेक डोभाल ने कहा कि सरकार शीघ्र आन्दोलनकारियों की मांगों को पूरा करंे, अन्यथा हम गांवों में जाकर भी भाजपा के विरोध में प्रचार प्रसार करेंगे। भारती रौतेला राजेश्वरी गौड़, आशा नेगी, रमोती राणा, रामेश्वरी खन्तवाल, सुरमा देवी, भागुली देवी, दिक्का ध्यानी, नन्दा ऐरी, पवेत्री देवी ने आहवान किया कि अगर सरकार हमारी मांग नहीं मानती, तो सम्पूर्ण उत्तराखंड में सरकार के विरोध में प्रचार करेंगे। भाकियू अम्बावत की महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती रश्मि चैधरी ने कहा कि जिस प्रदेश का निर्माण ही महिलाओं की अस्मिता लूटने एवं संघर्ष के परिणाम स्वरूप हुआ हो, उस प्रदेश में महिलाओं का सम्मान न हो, तो ऐसी सरकारें हमें नहीं चाहिए। अंकिता भण्डारी के दोषियों को सजा न मिलना सरकार की नाकामी है। इस अवसर पर प्रदीप बुडाकोटी, एन के शर्मा, अनुसुया प्रसाद चमोली, सुरेन्द्र पंवार, दरवान सिंह नेगी, सरस्वती बड़थ्वाल, मोहन सांवन्त, होमी जोशी, खीम सिंह, नन्दन सिंह रावत, राकेश चैहान, भूमा नेगी, जगन्नाथ बेदी, प्रभाकर पन्त आदि सैंकड़ों राज्य आंदोलनकारी धरने पर मौजूद रहे। बाद में तहसीलदार को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा गया।