परमार्थ निकेतन में माँ शबरी रामलीला का शुभारम्भ

ipressindia
0 0
Read Time:6 Minute, 40 Second

परमार्थ निकेतन में माँ शबरी रामलीला का शुभारम्भ
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में सैस फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने दीप प्रज्वलित कर किया माँ शबरी रामलीला उद्घाटन
परमार्थ निकेतन और सुरेन्द्र बक्शी आरोग्य सेवा फाउंडेशन सैस फाउंडेशन के तत्वाधान में आयोजित भारत की पहली वनवासियों, जनजातियों और आदिवासियों को समर्पित माँ शबरी रामलीला
वनवासी, जनजाति और आदिवासी संस्कृति को समर्पित एक अद्वितीय आध्यात्मिक-सांस्कृतिक प्रस्तुति

माँ शबरी, भक्ति और समर्पण का अमर प्रतीक
स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में माँ शबरी रामलीला का शुभारम्भ हुआ। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में सैस फाउंडेशन तथा सुरेन्द्र बक्शी आरोग्य सेवा फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने दीप प्रज्वलन कर भारत की पहली “माँ शबरी रामलीला” का शुभारम्भ किया। इस अनूठे आयोजन के माध्यम से परमार्थ निकेतन में भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं की दिव्य धारा में आज एक ऐतिहासिक क्षण जुड़ गया। यह रामलीला विशेषतः वनवासियों, जनजातियों और आदिवासियों की संस्कृति, आस्था और जीवन-मूल्यों को समर्पित है।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि श्री रामकथा अमृत में माँ शबरी का चरित्र एक ऐसा अमिट दीप है, जो त्याग, भक्ति और समर्पण की ज्योति से युगों को आलोकित करता आ रहा है। माँ शबरी की कथा हमें संदेश देती है कि प्रभु तक पहुँचने का मार्ग केवल राजमहलों, यज्ञों और वैभव से होकर नहीं जाता, बल्कि प्रेम, निर्मल भाव और निष्ठा से ही होकर गुजरता है।

माँ शबरी ने जीवनभर प्रभु श्रीराम के आगमन की प्रतीक्षा की, और जब प्रभु आये, तो उन्होंने प्रेमपूर्वक जूठे बेर अर्पित किए। भगवान ने उस भक्ति में अद्वितीय माधुर्य पाया और मां शबरी को युगों-युगों तक के लिए भक्तिरत्न बना दिया।

स्वामी जी ने कहा कि “माँ शबरी रामलीला” केवल एक नाट्य-प्रस्तुति नहीं, बल्कि भारत की उन जड़ों का पुनराविष्कार है जो हमारी वनवासी और आदिवासी परंपराओं में रची-बसी हैं। वे परंपराएँ जिन्होंने प्रकृति, संस्कृति और अध्यात्म को एक सूत्र में बाँधा। इस रामलीला के माध्यम से जनजातीय जीवन-मूल्य, उनकी संगीत-नृत्य परंपरा, उनका त्यागमय जीवन और मातृभूमि के प्रति समर्पण को मंच पर जीवंत किया जा रहा है। यह आयोजन हमें यह स्मरण कराता है कि भारत की आत्मा केवल नगरों में नहीं, बल्कि जंगलों, पहाड़ों और गाँवों की धड़कनों में भी बसती है।

स्वामी ने कहा कि वनवासी और आदिवासी समुदाय भारत की सनातन धरोहर के सशक्त वाहक हैं। उनके जीवन मूल्यों में सरलता, पर्यावरण संरक्षण और ईश्वर-भक्ति का अनुपम समन्वय है।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा मां शबरी रामलीला का आयोजन नारी की भक्ति और जनजातीय चेतना का एक अनुपम उत्सव है। माँ शबरी की कथा और रामलीला हमें यह प्रेरणा देती है कि हम सब अपने भीतर की शबरी को जागृत करें तथा ाभक्ति, सरलता और प्रेम के साथ जीवन जियें।

श्री सुरेन्द्र बक्शी जी ने कहा कि भारत की पहली शबरी रामलीला एक सांस्कृतिक मील का पत्थर हैं। भारत के सांस्कृतिक इतिहास में यह पहला अवसर है जब विशेष रूप से मां शबरी के चरित्र पर केंद्रित रामलीला प्रस्तुत की जा रही है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अभूतपूर्व पहल है। पूज्य स्वामी जी के आशीर्वाद से सैस फाउंडेशन को प्रतिवर्ष परमार्थ निकेतन के प्रांगण में मां गंगा के पावन तट पर रामलीला के माध्यम से अपने भावों को प्रकट करने का अवसर प्राप्त होता है।

माँ शबरी रामलीला का यह आयोजन भारतीय संस्कृति की उस गहराई को रेखांकित करता है, जिसमें समरसता और समर्पण ही मुख्य धारा है। यहाँ कोई उच्च-नीच नहीं, कोई बड़ा-छोटा नहीं, बल्कि हर जीव को उसकी भक्ति और निष्ठा के आधार पर सम्मान मिलता है। यही भारत की आत्मा है, यही सनातन का वैभव है।
स्वामी जी और साध्वी जी ने संस्कृति को समर्पित कार्य करने वाले समर्पित, सैस फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री शक्ति बक्शी जी, श्री विश्व मोहन जी और उनकी पूरी टीम पदाधिकारियों और सभी कलाकारों को अंगवस्त्र और रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर उनका अभिनन्दन किया। इस अवसर पर कोलकाता से विशेष रूप से आये श्री सुधीर जालान जी, श्रीमती अलका जालान जी का भी अभिनन्दन कर आशीर्वाद दिया। श्री सुधीर जालान जी ने पूज्य स्वामी जी के आशीर्वाद से कोलकाता में विशाल रूप से गंगा जी की आरती का क्रम शुरू किया है।

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

मंदिर में नवदूर्गा पुजा जप तप का अनुष्ठान एक अक्टुबर को हवन एंव भण्डारे के साथ सम्पन्न हुआ

शारदीय नवरात्री के पवित्र अवसर पर नौ दिवसीय पूजा,अनुष्ठान सिद्धपीठ श्री श्री माॅ भद्रकाली(प्राचीन)मंदिर रायपुर में रक्षा कर्मियो(डीएससी) के सहयोग से 1686 चेत्र मास प्रतिपदा को स्थापित मंदिर में नवदूर्गा पुजा जप तप का अनुष्ठान एक अक्टुबर को हवन एंव भण्डारे के साथ सम्पन्न हुआ।इस कार्यक्रममें कर्नल योगेंद्र राई जी […]
echo get_the_post_thumbnail();

You May Like

Subscribe US Now

[mc4wp_form id="88"]
Share