मंगलौर/नारसन।
एक और जहां उत्तराखंड सरकार किसानों की आय दोगुना करने के लिए बागवानी लगाने के लिए किसानों को प्रेरित कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर फलदार पेड़ों का कटान भी जोरों पर हो रहा है। उद्यान विभाग के अधिकारी भी बागवानी के कटान को रोकने में असफल दिखाई पड़ रहे हैं।हरिद्वार जिले का मंगलौर कस्बा बागवानी के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है, लेकिन आज मंगलौर कस्बे की हालत ऐसी हो गई है कि हर साल बागवानी पेड़ों के कटान से मंगलौर कस्बा खाली होता जा रहा हैं। आम के पेड़ के बाद अब नाशपाती, अमरूद, लीची आदि फलदार पेड़ों का कटान भी मंगलौर कस्बे में जोरों से चल रहा है। वही इस बाबत जब जिला उद्यान अधिकारी ओम प्रकाश से पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि केवल आम के पेड़ को काटने के लिए ही परमिशन लेनी पड़ती है बाकी फलदार पेड़ों की कटाई जैसे नाशपाती, अमरूद आदि पेड़ों को बिना परमिशन के भी काट सकते है। ये वैरायटी फ्री होती हैं। खैर अब देखने वाली बात यह रहेगी कि बागवानी पेड़ों के कटान को कैसे रोका जा सकता है। जहां एक ओर सरकार बागवानी लगाने के लिए किसानों को प्रेरित कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर बागवानी के कटान को लेकर एक श्रेणी बनाई गई है कि किस पेड़ को काटने के लिए परमिशन लेनी पड़ेगी और किन पेड़ों को बिना परमिशन के काटने के लिए फ्री किया गया है। अभी यह स्थिति असमंजस में है।