महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती पर परमार्थ निकेतन से हार्दिक शुभकामनाएँ

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महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती पर परमार्थ निकेतन से हार्दिक शुभकामनाएँ*

*अमर धरोहर ‘रामायण’ की दिव्य साधना को नमन*

ऋषिकेश। आज हम एक महान संत, आदिकवि और भारतीय संस्कृति के स्तंभ महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती पर उनकी पुण्य स्मृति को नमन। महर्षि वाल्मीकि ने अपने अद्वितीय ज्ञान, गहन तप और दिव्य दृष्टि से समाज को एक अमूल्य उपहार दिया। ‘रामायण’ केवल एक महाकाव्य ही नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू के लिए मार्गदर्शन का स्रोत है। उनके द्वारा रचित रामायण में प्रभु श्रीराम जी की प्रेरणादायक कथाओं के माध्यम से धर्म, सत्य, करुणा, साहस और मानवीय मूल्यों की शिक्षाएँ समाहित हैं। यह दिव्य ग्रंथ भारतीय संस्कृति की आत्मा है।

महर्षि वाल्मीकि जी ने अपने जीवन के माध्यम से आध्यात्मिक जागृति, करुणा और मानवता के उच्च आदर्शों का संदेश दिया। उनके द्वारा रचित रामायण में वर्णित प्रत्येक प्रसंग हमें जीवन के नैतिक मूल्यों, कर्तव्यनिष्ठा और समाज के प्रति उत्तरदायित्व को समझने की प्रेरणा देते हैं। प्रभु श्रीराम जी का चरित्र जीवन में मर्यादा, सत्यनिष्ठा और न्यायप्रियता के आदर्श स्थापित करता है। महर्षि वाल्मीकि जी की दृष्टि और रचनात्मकता ने समाज में नैतिक मूल्यों और संस्कारों के महत्व को उजागर किया, जो आज भी हमारे जीवन के मार्गदर्शक हैं।

महर्षि वाल्मीकि जी की रचना केवल धार्मिक या साहित्यिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह हमारे व्यक्तित्व निर्माण और समाज में सदाचार, सहिष्णुता एवं करुणा के संदेश का प्रतीक भी है। उनकी शिक्षाएँ हमें यह संदेश देती हैं कि कठिनाइयों और जीवन की पीड़ा में भी धैर्य, विवेक और साधना के माध्यम से सकारात्मकता और शक्ति का संचार किया जा सकता है। महर्षि वाल्मीकि की यह शिक्षा आज के समय में विशेष महत्व रखती है, जब समाज में नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिक चेतना की आवश्यकता अधिक है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती केवल उनके जीवन का स्मरण नहीं, बल्कि यह हमें उनके आदर्शों पर चलने का अवसर भी प्रदान करती है। इस पावन अवसर पर यह आवश्यक है कि हम वाल्मीकि-रामायण के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएँ, अपने आचरण में सत्य, धर्म, करुणा और सेवा के सिद्धांतों को शामिल करें। यदि हम अपने जीवन में इन मूल्यों को आत्मसात कर लें, तो न केवल हमारा व्यक्तिगत जीवन समृद्ध होगा, बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए भी यह प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

 

आज के समय में जहाँ युवा पीढ़ी पर समाज और संस्कृति के उत्थान की बड़ी जिम्मेदारी है, महर्षि वाल्मीकि जी के आदर्शों और रामायण की शिक्षाओं को युवाओं तक पहुँचाना अत्यंत आवश्यक है। यह हमें याद दिलाता है कि जीवन में केवल भौतिक उपलब्धियाँ ही नहीं, बल्कि चरित्र, संस्कार और मानवीय मूल्यों का निर्माण भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। महर्षि वाल्मीकि के शब्द और उनके द्वारा प्रस्तुत जीवन-दर्शन हमारे लिए एक मार्गदर्शक हैं, जो हमें सच्चाई, न्याय और मानवता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।

परमार्थ निकेतन की ओर से महर्षि वाल्मीकि जी को कोटि-कोटि नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि। उनकी अमर रचना रामायण सदैव हमारे जीवन का मार्गदर्शन करती रहे और हमें सत्य, धर्म, और मानवता के पथ पर चलने की प्रेरणा देती रहे।

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