परमार्थ निकेतन में पांच दिवसीय एक्यूपंक्चर कैम्प का शुभारम्भ

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परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, डा साध्वी भगवती सरस्वती जी और अमेरिका से आये एक्यूपंक्चर चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम ने दीप प्रज्वलित कर किया शुभारम्भ
परमार्थ निकेतन की स्वास्थ्य कल्याण के क्षेत्र में नूतन पहल
सेवा और मानवता का मार्ग भौगोलिक सीमाओं से परे
स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में स्वास्थ्य और कल्याण के क्षेत्र में एक नया प्रयास आरंभ हुआ है। आज पांच दिवसीय एक्यूपंक्चर कैम्प का शुभारम्भ किया। अमेरिका से आए 15 विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और डा साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में दीप प्रज्वलित कर कैम्प का शुभारम्भ किया।
इस कैम्प का मुख्य उद्देश्य गंगा तट पर आकर रोगियों को एक्यूपंक्चर चिकित्सा के माध्यम से राहत प्रदान करना है। अमेरिका से आए विशेषज्ञ चिकित्सक अपने अनुभव और कौशल से रोगियों का उपचार कर रहे हैं, साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें परमार्थ निकेतन का गंगा तट यहां खींच लाया है। यहां की शान्ति अद्भुत व अलौकिक है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सेवा और मानवता का मार्ग भौगोलिक सीमाओं से परे है। यह कैम्प एक अद्वितीय उदाहरण है कि कैसे विशेषज्ञ चिकित्सक अपने वेकेशन को सेवा के लिए समर्पित कर रहे हैं। यहां आकर वे न केवल दूसरों की सेवा करते हैं बल्कि इस पवित्र वातावरण में आकर स्वयं को भी रिचार्ज करते हैं; ऊर्जावान बनाते हैं।
स्वामी जी, ने कहा कि इस प्रकार की सेवाएँ हमें यह स्मरण कराती हैं कि यह केवल एक चिकित्सा कैम्प नहीं है, बल्कि यह सेवा, करुणा और मानवता का प्रकाशस्तंभ है। जब हम अपने ज्ञान, अनुभव और कौशल को दूसरों के कल्याण के लिए समर्पित करते हैं, तब जीवन का सबसे बड़ा सुख और तृप्ति हमें प्राप्त होती है। अमेरिका से आए चिकित्सक यह संदेश दे रहे हैं कि सेवा कोई सीमा, कोई देश या समय नहीं देखती। वे अपने वेकेशन में भी यहाँ आए, केवल मानवता की सेवा के लिए। यही सच्चा आध्यात्मिक अभ्यास है।साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि यह कैम्प शरीर को स्वस्थ करने के साथ हृदय को भी सशक्त करने का अवसर है। गंगा के पावन किनारे, जहाँ प्रत्येक सांस में पवित्रता और शांति है, यहाँ की सेवा यह स्मरण कराती है कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। हमारी छोटी-सी कोशिश किसी के जीवन में अमूल्य राहत और आनंद ला सकती है। उन्होंने सभी चिकित्सकों, स्वयंसेवकों का अभिनन्दन करते हुये कहा कि अपने कार्य में प्रेम, धैर्य और समर्पण रखें। यही भाव जीवन को सार्थक बनाता है।
कैम्प के माध्यम से विभिन्न शारीरिक और मानसिक परेशानियां, जैसे पीठ दर्द, तनाव, मांसपेशियों में जकड़न और कई प्रकार की पुरानी बीमारियों के लिए एक्यूपंक्चर चिकित्सा, चिकित्सक अपने अनुभव और आधुनिक तकनीकों का मिश्रण कर सेवायें प्रदान कर रहे हैं। कई मरीजों ने यह अनुभव साझा किया कि पहले से ही उनकी शारीरिक समस्याओं में राहत मिली है।
स्वामी जी और साध्वी जी ने सेमी रैंक और उनकी पूरी टीम को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट कर उनकी सेवाओं के लिये उनका अभिनन्दन किया।
सेमी रैंक के मार्गदर्शन में मअमेरिका से आयी चिकित्सकों की टीम में नारायण ब्रावो, मारिया, लॉरा एंजेल, मेलिंडा ट्रेम्मेल, क्रिस्टीन मिशेल, आलियाह कारूसो, एम्मा रदरफोर्ड, रेजीना बर्कले, लिसा डिमैगियो, केनेल शेफर्ड, एंथनी विलियम्स, राचेल फील्ड, क्रिस्टीन कासेरेस उत्कृष्ट सेवायें प्रदान कर रहे हैं।

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